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स्वस्थ भारत

कविता:  स्वस्थ भारत 

भारत भूमि उद्घोषक है,
सर्वे संतु निरामया।
सतत जगत हित में रत,
है अपराजया ।(1)

यही योग की जननी,
प्रचारक आसन प्राणायाम की।
यही महत्ता सिखलाती है,
मेहनत और व्यायाम की ।।(2)

योगी बन कर रहे मनुज,
और सदा भोग से दूर रहे। 
प्राण वायु संचार करे, 
प्रतिदिन अनुलोम-विलोम करे ।।(3)

रात्रि में अति शीघ्र शयन हो, 
सूर्योदय से पहले जागे। 
प्रातः उषा पान करे नित, 
नीम दातुनी मुख से लागे।(4)

अंजन, मंजन, मर्दन का भी,
दिनचर्या में पालन हो।
परम पौष्टिक खाद्य ग्रहण हो,
भोजन में अनुशासन हो ।।(5)

स्वस्थ भारत, अभियान नहीं है 
यह है पुनर्जागृति।
लौटे मानस पुनः मूल को 
पावे अपनी संस्कृति।।(6)

शिक्षा हो फिर आयुर्वेद की,
पथ्यापथ्य विमर्श बने।
ऋतुचर्या आहारज्ञान से,
तन-मन जीवन हर्ष करे।।(7)

रहे प्रशन्न सदा सुख बांटे, 
चिंता भय को नष्ट करे।
ईर्ष्या, शोक, विलाप रहित हो,
प्राणी वह ही स्वस्थ रहे ।।(8) 

पहला सुख, निरोगी काया, 
उसके बाद सकल मोह माया।  
गौशाला संवर्धन हो,
और मदिरालय का करो सफाया।(9) 

धूम्रपान, मद्यपान, तामस का,  
जन-जन से अब त्याग हो। 
दूध, दही, घृत, माखन, मिश्री,
फिर से अंगीकार हो ।।(10)

स्वच्छता है, तभी स्वास्थ्य है, 
यही परम सत्य है ।
दूषितता रोगों की माता
रोको, यह कर्तव्य है ।।(11)

स्वच्छ तन, स्वच्छ राष्ट्र, स्वच्छ विश्व 
यही मूल मंत्र गाए चलो। 
स्वास्थ्य सैनिक बनो, बढ़े चलो, 
जगत कल्याण मन में साधे रहो।(12)

मिलावट के विष से मुक्ति हो, 
दंड और कानून हो। 
रसायन युक्त कृषि पर अंकुश, 
जैविक कृषि का पालन हो।(13)

अंतिम बात, प्रकृति सानिध्य,
मिट्टी से जुड़ाव जरूरी हो ।
प्रदूषण पर पूर्ण नियंत्रण 
पॉलिथीन से दूरी हो ।।(14)

वन संरक्षण, पादप रोपण,
यही बड़ा अभियान है।
सारा जगत निरोगी हो फिर,
यह भारत का ज्ञान है ।।(15)

कवि: Nishant Kumar Saxena

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5 Comments

Shilpa modi

21-Aug-2021 03:29 PM

बेहतरीन.लेखन

Reply

Nishant kumar saxena

22-Aug-2021 02:36 PM

Thnx a lot

Reply

बहुत सुंदर और प्रेरक कविता लिखी है

Reply

Nishant kumar saxena

22-Aug-2021 02:37 PM

Thnx sir

Reply

Nishant kumar saxena

15-Aug-2021 02:17 PM

हमारी लेखनी के अंतर्गत पहली कविता है कृपया अवश्य पढ़ें और अपने विचार और सुझाव व्यक्त करें पसंद आए तो लाइक करें

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